ग्रामीण बैंक और माइक्रो क्रेडिट मॉडल शुरू किया था। मोहम्मद यूनुस को नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है। मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के जाने माने अर्थशास्त्री हैं। इनके ग्रामीण बैंक मॉडल को जबरदस्त सफलता मिली है। साल 1974 में बांग्लादेश में अकाल ने उन्हें परेशान कर दिया था।
इनके ग्रामीण बैंक मॉडल को जबरदस्त सफलता मिली है। अब इसे पूरी दुनिया अपना रही है। मोहम्मद यूनुस को साल 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। मोहम्मद यूनुस और बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक को नोबेल शांति पुरस्कार संयुक्त रूप से मिला था मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के एक जाने-माने अर्थशास्त्री हैं। डॉ. मोहम्मद यूनुस 83 वर्ष के हो चुके हैं। आज दुनिया मोहम्मद यूनुस के माइक्रो क्रेडिट मॉडल यानी गरीबों को बिना जमानत छोटे-छोटे लोन देने की शुरुआत वाले मॉडल का लोहा मानती है। मोहम्मद यूनुस ने ग्रामीण टेलीकॉम नाम की कंपनी भी स्थापित की है। आईए आपको बताते हैं कैसे मोहम्मद यूनुस ने जीवन में इतनी सफलता हासिल की और क्यों उन्हें गरीबों का महीसा माना जाता है।
इसके बाद इन्होंने चटगांव यूनिवर्सिटी में साल 1961 से 1965 तक इकोनॉमिक्स पढ़ाया। मोहम्मद यूनुस को इसके बाद अमेरिका की फुलब्राइट स्कॉलरशिप मिल गई। साल 1965 से 1972 तक इन्होंने अमेरिका के वंदरबिल्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई और टीचिंग की। इसके बाद 1969 में इकोनॉमिक्स में पीएचडी की उपाधि हासिल की। मोहम्मद यूनुस का जन्म 28 जून 1940 को पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के चटगांव में हुआ था। इन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की थी। इसके बाद वह चटगांव लौट आए जहां उन्हें साल 1972 में इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट का हेड बना दिया गया।
हालांकि उन्हें जल्द ही समझ में आ गया कि इससे भूमिहीन लोगों को कोई लाभ नहीं होगा। मोहम्मद यूनुस को समझ में आया कि गरीबों को रुपयों की जरूरत है, रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1974 में बांग्लादेश में अकाल ने उन्हें परेशान कर दिया था। इसके बाद उन्होंने गरीबी के आर्थिक पहलुओं का अध्ययन शुरू किया। उन्होंने अपने स्टूडेंट्स से खेतों में जाकर किसानों की मदद के लिए कहा। जिससे वह छोटा-मोटा कारोबार शुरू कर सकें।