दिल्ली : जज ने चिल्लाते हुए कहा, “थाने जाकर इसे फांसी दो!उसके बाद दोनों पक्षों के वकीलों ने चिल्लाते हुए विवादित मामले को लेकर बहस शुरू की। कोर्ट के अंदर महौल बहुत गरम हो गया था। अंत में जज ने निर्णय सुनाते हुए कहा, “इस मामले में दोषी को सजा सुनाना जरुरी है।” मशहूर उपन्यासकार विक्रम सेठ की मां लीला सेठ हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस बनने वाली पहली महिला थीं. पहले वह दिल्ली हाईकोर्ट की जज बनीं और फिर हिमाचल प्रदेश की चीफ जस्टिस की कुर्सी तक पहुंची के दशक में जब लीला सेठ की बतौर जज नियुक्ति हुई तो एक वर्ग के लिए यह अचंभित करने वाला था. मेरठ के कुछ किसान तो उन्हें देखने तक पहुंच गए थे.
सेठ लिखती हैं- सारे लोग मुझे घूर रहे थे. मैंने अपने रीडर से पूछा कि अचानक मुझे कोई बहुचर्चित मामला सौंप दिया गया है क्या? यह लोग कौन हैं? जस्टिस लीला सेठ ने पेंगुइन से प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘घर और अदालत: एक महिला चीफ जस्टिस की कलम से’ में इस किस्से का जिक्र किया है. वह लिखती हैं कि एक दिन मैं हाईकोर्ट में बैठी एक फैसला पढ़ रही थी. अचानक मुझे कोर्ट रूम में हलचल महसूस हुई. निगाह उठाकर सामने देखा तो दर्जनों लोग कोर्ट रूम में घुस आए थे. कोर्ट रूम करीबन खचाखच भर गया था.
इसके बाद रीडर ने मुझे बताया कि ‘अरे नहीं, यह लोग मेरठ और आसपास के किसान हैं. प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने इन्हें दिल्ली दर्शन के लिए बुलाया है. ये लोग चिड़ियाघर होकर आए हैं और अब दिल्ली हाईकोर्ट में महिला जज को देखना चाहते हैं…’
जस्टिस सेठ अपनी आत्मकथा में जज बनने के ठीक बाद का एक और किस्सा लिखा है. लिखती हैं कि जज बनने के बाद भी हम गोल्फ लिंक में किराए के मकान में रह रहे थे, क्योंकि सरकारी मकान नहीं मिला था. एक शाम जब मैं घर वापस लौटी तो देखा कि मेरी क्रीम कलर की पुरानी एंबेसडर कार गायब है. वह घर के सामने ही पार्क रहती थी.
मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ और लगा कि बेटा शांतम लेकर कहीं गया होगा, लेकिन जब फ्लैट में पहुंची तो देखा कि वह घर के अंदर ही है और उसे गाड़ी के बारे में कुछ नहीं पता है.