New Delhi : भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने शुक्रवार को घरेलू दूरसंचार नेटवर्क में कॉलर पहचान (कॉलर ID) को एक डिफ़ॉल्ट सुविधा के रूप में पेश करने के लिए सिफारिशों का एक अंतिम सेट जारी किया। दूरसंचार विभाग (DoT) ने इससे संबंधित प्रारंभिक प्रस्ताव लगभग दो साल पहले दिया था।
सिफारिशों में प्रस्तावित किया गया है कि सभी टेलीकॉम कंपनियां ग्राहकों को “अनुरोध पर” एक “अतिरिक्त सेवा” के रूप में “कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP)” सुविधा दें।
क्या है TRAI की सिफारिश?
- TRAI ने केंद्र के समक्ष कॉलर पहचान सुविधा को लागू करने का एक तकनीकी मॉडल प्रस्तावित किया है। नियामक संस्था ने सरकार से सिफारिश की है कि वह सभी दूरसंचार कंपनियों को एक निश्चित समय के भीतर इस सेवा को शुरू करने के आदेश जारी करे।
अनुशंसित CNAP मॉडल में, जब फ़ोन कॉल आती है, तो वो नाम दिखाया जाएगा जिसके साथ वह नंबर दूरसंचार ऑपरेटर में पंजीकृत है। यह सेवा उपयोगकर्ताओं के लिए ‘ऑन-रिक्वेस्ट’ सुविधा के रूप में काम करने की संभावना है।
कॉलर ID सर्विस का क्या होगा असर?
सिफारिशों के जारी होने से डिफ़ॉल्ट कॉलर ID सेवाओं की शुरुआत एक कदम और करीब आ गई है। एक बार लॉन्च होने के बाद, इस सुविधा के Truecaller जैसी कॉलर पहचान प्रदाता कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करने की संभावना है, जो एड-फ्री और सदस्यता मॉडल(subscription model) के आधार पर काम करती हैं।
इस बारे में, Truecaller के प्रवक्ता ने कहा कि “CNAP के संबंध में, हमें नहीं लगता कि यह Truecaller द्वारा अपने करोड़ों उपयोगकर्ताओं को दी जाने वाली सेवाओं और कार्यक्षमता की पूरी श्रृंखला के बराबर होने वाली एक प्रतिस्पर्धी सेवा होगी। अपनी तकनीक और AI क्षमताओं के साथ, Truecaller एक बुनियादी नंबर पहचान सेवा प्रदान करने से परे भी बहुत कुछ प्रदान करता है।”
अन्य चुनौतियां
यह देखना बाकी है कि देश भर में इस तरह की सुविधा को कैसे लागू किया जा सकता है और कैसे कमर्शियल कॉलर पहचान सेवाएं डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, 2023 के साथ मिलकर काम करती हैं।