वैशाली : वैशाली जिले में भी इन दिनों किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नगदी फसल की खेती करने लगे हैं. यहां के किसान धान और मक्का सहित सब्जी को छोड़कर तंंबाकू की खेती करने लगे हैं. वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड अंतर्गत पकड़ी गांव निवासी संतोष कुमार सिंह पांच एकड़ में तंबाकू की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. इससे पहले संतोष कुमार सिंह भी पारंपरिक खेती ही करते थे. इसमें खर्च भी अधिक था और अलग से मेहनत करनी पड़ती थी. इसलिए पारंपरिक खेती को त्याग कर अब चार साल से तंबाकू की ही खेती कर रहे हैं.
बिहार में नगदी फसल की खेती का चलन लगातार बढ़ रहा है. नगदी फसल की खेती में किसानों को कम लागत और कम समय में बेहतर मुनाफा प्राप्त हो जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि बिक्री करने की भी झंझट नहीं रहती है. व्यापारी खेत पर आकर ही फसल को अच्छी कीमत देकर ले जाते हैं.
संतोष कुमार सिंह ने बताया कि वह पहले आलू, धान, गेहूं और मक्का की खेती करते थे, लेकिन इन फसलों में मेहनत के साथ-साथ खर्च भी अधिक करना पड़ता था. इसलिए 2015 से तंबाकू की खेती करना प्रारंभ कर दिया. तंबाकू की खेती अक्टूबर से लेकर नवंबर के अंत तक की जाती है. इसके लिए पहले बीज को बोना पड़ता है. जब पौधा तैयार हो जाता है तो खेत में लगाया जाता है. जब तंबाकू पूरी तरह से तैयार हो जाता है तो व्यापारी को फसल बेच देते हैं. संतोष कुमार सिंह ने बताया फिलहाल 5 एकड़ में सिर्फ तंबाकू की खेती कर रहे हैं. एक कट्ठा में तंबाकू की खेती करने पर चार महीने में 3 हजार से लेकर 3500 का खर्च आता है.
संतोष कुमार सिंह ने बताया कि तंबाकू की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है. चार महीने की तंबाकू की खेती में 2500 रुपये तक प्रति कट्ठा के हिसाब से बचत होती है. खास बात यह है कि चार महीने की खेती के बाद जब फसल तैयार हो जाती है तो बिक्री करने के बाद नगद राशि मिल जाती है. उन्होंने बताया कि आसानी से पता चल जाता है कि खेती करने में कितनी लागत आई और कितना मुनाफा हुआ. उन्होंने बताया कि पांच एकड़ में तंबाकू की खेती कर चार महीने में ढाई लाख से अधिक की कमाई हो जाती है. खास बात यह है कि तंबाकू की फसल को कोई जानवर नुकसान भी नहीं पहुंचाता है.