चंडीगढ़ : सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब अदालत में बैलेट बॉक्स मंगवाए गए. CJI ने अपने सामने वोटों की गिनती करवाई और नतीजे घोषित किये. चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने बैलट पेपर्स का परीक्षण किया और आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को विजेता घोषित कर दिया
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब अदालत में बैलेट बॉक्स मंगवाए गए. CJI ने अपने सामने वोटों की गिनती करवाई और नतीजे घोषित किये. चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने बैलट पेपर्स का परीक्षण किया और आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को विजेता घोषित कर दिया.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि हमारी राय है कि इस तरह के मामलों में हम अपने अधिकार क्षेत्र में संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं कि चुनावी लोकतंत्र की प्रक्रिया असफल न होने पाए.
संविधान के अनुच्छेद 142 में सुप्रीम कोर्ट को ‘कंप्लीट जस्टिस’यानी ‘संपूर्ण न्याय’ का अधिकार दिया गया है. अनुच्छेद 142 में कहा गया है कि ऐसे वाद, जिनमें कभी-कभी कानूनी तौर पर कोई हल नहीं दिखाई देता है, या कोई और रास्ता अख्तियार नहीं किया जा सकता है, उसमें सुप्रीम कोर्ट विवाद को हल करने या निपटारे के लिए अपने अधिकार क्षेत्र में उचित निर्णय ले सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अनिरुद्ध शर्मा hindi.news18.com से बातचीत में कहते हैं कि संविधान के आर्टिकल 142 में सुप्रीम कोर्ट को कंप्लीट जस्टिस का अधिकार दिया गया है. ऐसे मामले जहां नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हनन हो रहा हो या किसी कानून में खामी मिले, वहां अदालत, न्याय करने के लिए इस आर्टिकल का इस्तेमाल करती है.
सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई मामलों में अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर चुकी है. सबसे चर्चित मामला अयोध्या जमीन विवाद का है. उस वक्त उच्चतम न्यायालय ने जमीन विवाद का फैसला हिंदू पक्ष के हक में दिया था, लेकिन आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था. इसी तरह, 6 से 14 साल के बच्चों को अनिवार्य मुफ्त शिक्षा, अंडर ट्रायल कैदियों की आधी सजा पूरी होने के बाद रिहाई का आदेश भी सेक्शन 142 के तहत दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से छेड़छाड़ के आरोपी रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह को भी कोर्ट में तलब किया. CJI ने खुद उनसे सवाल-जवाब किया. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. मैं आपसे सवाल पूछ रहा हूं, अगर आपने सही जवाब नहीं दिया तो आपके खिलाफ कार्यवाही होगी. आप कैमरे की तरफ देखते हुए बैलेट पेपर पर क्या निशान लगा रहे थे?
चंद्रचूड़ अनिल मसीह के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और कहा कि साफ है कि इन्होंने चुनाव प्रक्रिया से छेड़छाड़ की. अपने अधिकारों से परे जाकर काम किया, इसलिए इनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए. अनिल मसीह के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कार्यवाही शुरू कर दी गई है. धारा 340 में अदालत में झूठी गवाही देने, गुमराह करने, गलत तथ्य पेश करने, गलत दस्तावेज दिखाने और न्यायालय की अवमानना के आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही का प्रावधान है.
इस आर्टिकल में कहा गया है कि ऐसे लोगों की बुराई रोकने के लिए प्रभावी और कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है जो साहसपूर्वक झूठे बयान देते हैं और झूठ और छल, दिखावा, छल और विश्वासघात से माननीय न्यायालय को गुमराह करते हैं.