पटना : बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक न सिर्फ कड़े फैसले और अड़ियल रुख के लिए जाने जाते हैं, बल्कि कई दफा अपने ही आदेश बदलने या वापस लेने के लिए भी वे मशहूर हैं। शीतलहर के कारण स्कूलों में छुट्टी पर पहले बिफरे, फिर इसकी इजाजत भी उन्हें देनी पड़ी। कोचिंग संस्थानों को स्कूल अवधि में बंद रखने का आदेश उन्हें संशोधित करना पड़ा। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए चलने वाले कोचिंग संस्थानों को उन्होंने विरोध के बाद बाहर किया। केके पाठक के वापस लिए गए फैसलों के ये कुछ प्रमुख नमूने हैं।
बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अपने सख्त आदेशों के लिए मशहूर रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें सूबे की बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की खुली छूट दे रखी है। हालांकि कई ऐसे मौके भी आए हैं, जब केके पाठक को अपना ही आदेश पलटना पड़ गया।
केके पाठक ने इसे लेकर जिलाधिकारियों को कानूनी पाठ भी पढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि जब बाजार खुल सकते हैं, माल खुले रह सकते हैं और सिनेमा हाल चालू रह सकते हैं तो स्कूलों में छुट्टी क्यों होनी चाहिए। क्या सबसे अधिक ठंड स्कूलों को ही लगती है। हालांकि बाद में केके पाठक को बैकफुट पर आना पड़ा। पटना डीएम के आदेश पर वे अधिक भड़के थे, पर बाद में उनके आदेश पर सहमति जता दी। बिहार में भयंकर शीतलहर को देखते हुए कई जिलाधिकारियों ने स्कूलों में छुट्टी का आदेश निकाल दिया था। जिस समय जिलाधिकारियों ने आदेश जारी किए, उस वक्त केके पाठक छुट्टी पर थे। छुट्टी से लौटते ही वे भड़क गए। उन्होंने कड़ा पत्र जिलाधिकारियों को लिखा और स्कूलों को बंद रखने का आदेश वापस लेने का फरमान जारी कर दिया। धारा 144 के तहत स्कूल बंद किए गए थे।
केके पाठक को स्कूलों की छुट्टियों से काफी चिढ़ रही है। दुर्गा पूजा की छुट्टियों में भी उन्होंने कटौती कर दी थी। शिक्षकों और राजनीतिक दलों के विरोध के बाद उन्हें बैकफुट पर आना पड़ा। उन्होंने स्कूलों के अवकाश कटौती के आदेश को वापस ले लिया था। उन्होंने दुर्गा पूजा की छुट्टी खत्म कर शिक्षकों के प्रशिक्षण का आदेश दिया था। रक्षाबंधन की छुट्टी भी केके पाठक ने खत्म कर दी थी, लेकिन सीएम नीतीश कुमार की दखल के बाद छुट्टी बहाल करनी पड़ी।
बिहार में जातीय सर्वेक्षण का काम जब चल रहा था, उसी दौरान केके पाठक ने एक आदेश जारी किया कि शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा दूसरा काम नहीं लिया जा सकता। दरअसल जातीय गणना का कार्य शिक्षकों के भरोसे ही था। केके पाठक का पहले आदेश था कि शिक्षकों से शिक्षा देने के अलावा कोई दूसरा काम नहीं कराया जा सकता है। उन्हें किसी भी प्रशासनिक कार्य में नहीं लगाया जाएगा। बाद में उन्हें अपना फरमान वापस लेना पड़ा। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर कहा कि शिक्षकों को जातीय गणना के काम में लगाया जा सकता है, पर उनसे कोई अन्य प्रशासनिक कार्य नहीं कराया जाए।
स्कूलों की छुट्टियों में कटौती के केके पाठक के आदेश का चौतरफा विरोध हो रहा था। शिक्षक तो बौखलाए ही हुए थे, राजनीतिक दलों का समर्थन भी उन्हें मिलने लगा। तब विपक्ष में बैठी भाजपा केके पाठक को कोसने में तनिक भी संकोच नहीं करती थी। खगड़िया में छुट्टी के दिन स्कूल बुलाए जाने पर एक शिक्षक ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उसने केके पाठक को जम कर खरी-खोटी सुनाई। किसी ने उक्त शिक्षक का वीडियो बना लिया। सुनील कुमार नाम के उस शिक्षक का वीडियो वायरल हो गया। इससे नाराज होकर केके पाठक ने उस शिक्षक को निलंबित कर दिया था।
नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षक बनाने के लिए सक्षमता परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं। नियोजित शिक्षकों को इस पर एतराज है। शिक्षक संगठन सक्षमता परीक्षा के विरोध में खड़े हैं। विधानसभा सत्र के दौरान 13 फरवरी को विधानसभा घेराव की घोषणा भी कर चुके हैं। दूसरी ओर शिक्षा विभाग ने सक्षमता परीक्षा का विरोध करने वाले नियोजित शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज करने की चेतावनी दी है। आदेश में कहा गया है कि नियोजित शिक्षक धरना-प्रदर्शन में शामिल होते हैं तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होगी। माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव की ओर से सभी डीएम को इस बात निर्देश जारी किया गया है। अब देखना है कि केके पाठक अपने आदेश पर अडिग रहते हैं या पूर्व की भांति पलटते हैं।