22.3 C
New York
July 4, 2024
राज्य

महाराष्ट्र : कोल्हापुर में रहने वाले दिलीप कांबले 2015 में मोती की खेती शुरू की लेक‍िन 2018 तक उन्हें घाटा होता रहा. इसके बाद ओड‍िशा में ट्रेन‍िंग म‍िलने के बाद सफलता म‍िली. उनका कहना है क‍ि मोती की खेती में ज्यादा लागत नहीं आती स‍िर्फ शर्त यह है क‍ि ट्रेन‍िंग अच्छी हो.

कोल्हापुर के दिलीप कांबले ने नौकरी के साथ-साथ एक ऐसा काम किया जिससे उन्हें सालाना 4 से 5 लाख रुपये की इनकम हो रही है. उन्होंने मोती की खेती में हाथ आजमाया. पहले असफलता से सामना हुआ, लेकिन उनकी जिद से यह कहानी सफलता में बदल गई. आज वो एक्सपोर्ट क्वालिटी की मोती तैयार कर रहे हैं, जिसकी विदेशों में कीमत भारत में मिलने वाले दाम से तीन गुना तक अधिक है. इसलिए वो एक्सपोर्ट पर ही फोकस कर रहे हैं. उनका आगे का टारगेट साल में 20 हजार एक्सपोर्ट क्वालिटी के मोती तैयार करने का है. इसके लिए वो काम भी कर रहे हैं. वो अलग-अलग शेप में मोती तैयार करते हैं, इसल‍िए इसकी अच्छी कीमत म‍िलती है. कांबले का कहना है कि इसकी खेती में पारंपरिक खेती के मुकाबले कहीं ज्यादा फायदा है.

कांबले का कहना है क‍ि अगर आप मोती की खेती शुरुआती दौर में कर रहे हैं तो बहुत ज्यादा लागत नहीं आती. कम पैसे में भी आप अच्छी कमाई कर सकते हैं. लेक‍िन शुरुआत करने से पहले अच्छी तरह से ट्रेनिंग जरूर ले लें, ताक‍ि आपका प्रोजेक्ट फेल न हो. मोती का उत्पादन किसान सीप के सहारे तालाब या टैंक में होता है. कांबले को 2015 में इंटरनेट से इसकी खेती के बारे में पता चला. इसके बाद उन्होंने 2016 में नागपुर में इसके ल‍िए ट्रेनिंग ली. लेक‍िन अच्छी ट्रेनिंग न मिलने की वजह से वो लगातार तीन साल तक इसमें फेल होते रहे. इसके बावजूद न तो हार मानी और न तो काम छोड़ा.

कांबले का कहना है क‍ि मुझे मोती की खेती में संभावना दिख रही थी, क्योंकि महाराष्ट्र में इसे करने वाले नाम मात्र के लोग ही थे. इसलिए काम बंद नहीं किया. इसल‍िए घाटे में भी काम क‍िया. फिर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर ओडिशा में एडम‍िशन म‍िल गया. वहां से अच्छी ट्रेन‍िंग के बाद 2019 में फ‍िर नए जोश के साथ काम शुरू क‍िया. इस बार 5000 सीप का सेटअप लगाया और फ‍िर 18500 का. इसके बाद सफलता हाथ लगी और फ‍िर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

वर्ष 2021 में हमें एक्सपोर्ट क्वालिटी का मोती मिला. ज‍िसमें अच्छी शेप दी गई थी. उसने जीवन बदल द‍िया. उसकी कीमत प्रति पीस 300 से 500 रुपये म‍िल रही थी. जो भारत में म‍िलने वाले पैसे से तीन गुना से अध‍िक था. हम एक पीस पर 100 रुपये लगाकर 300 से 500 तक कमाने लगे. इसके बाद पैसा आया तो खुद का तालाब तैयार करवाकर काम शुरू क‍िया. एक्सपोर्ट के ल‍ि ए इसकी काफी मांग है. इसमें हमें प्रत‍ि मोती 300 से लेकर 2000 रुपये तक म‍िलने की संभावना है. परंतु मोती वर्ल्ड स्टैंडर्ड की होनी चाह‍िए. कांबले ने बताया क‍ि वो 2019 से अब तक करीब सवा सौ क‍िसानों को मोती की खेती के ल‍िए ट्रेन‍िंग दी है. उनके देश भर में मोती की खेती के 15 प्रोजेक्ट चल रहे हैं. एक्सपोर्ट होने वाली मोती का अच्छा दाम म‍िल रहा इै इसलिए उसी पर पूरा ध्यान लगा हुआ है.

Related posts

मुस्लिम समुदाय में असमंजस और चिंता की स्थिति बन सकती है?

Satyamev Jayate News

यूं मिटाए सबूत; जानिए हाइप्रोफाइल मर्डर की पूरी दास्तां

Satyamev Jayate News

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद इस बार का क्या है गणित, समझिए

Satyamev Jayate News

Leave a Comment