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June 5, 2025
राज्य

शिक्षा विभाग केंद्र सरकार को जल्द भेजेगा प्रस्ताव

पटना : बिहार में सियासी उठापटक के बीच शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अपने अभियान में लगे हुए हैं। उनकी ओर से एक खास प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद बिहार के 40 लाख छात्र-छात्राओं को बड़ा फायदा होगा।

बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक बड़ा फैसला ले चुके हैं। इस फैसले से बिहार के हजारों माध्यमिक छात्रों की तकदीर बदल जाएगी। केके पाठक के इस फैसले से 40 लाख छात्र-छात्राओं को फायदा होने जा रहा है। इस फैसले पर मुहर के लिए इसके प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। बिहार शिक्षा विभाग इसे केंद्र सरकार को भेजेगा। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।

प्रारंभिक की तर्ज पर शिक्षा विभाग माध्यमिक और बिहार के उच्च माध्यमिक स्कूलों के छात्रों को मुफ्त में पाठ्यपुस्तक मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेगा। इसके लिए बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने केके पाठक के निर्देश पर एक प्रस्ताव तैयार कर लिया है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 के बजट के लिए इसकी मांग केंद्र सरकार से की जाएगी। बताया जा रहा है कि ऐसा होने से छात्रों को काफी फायदा होगा। उन्हें पुस्तकें मुफ्त में मिल जाएंगी। इससे पूर्व सिर्फ प्रारंभिक स्कूल के छात्रों को मुफ्त में पुस्तकें मिलती थीं।

ध्यान रहे कि पहली से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को हर साल मुफ्त में किताबें दी जाती हैं। वर्ष 2024-2025 में प्रारंभिक के सवा करोड़ बच्चों को किताबें उपलब्ध कराने की तैयारी तेजी से चल रही है। 25 फीसदी किताबों की छपाई भी पूरी हो चुकी है। केके पाठक की कोशिश है कि छात्रों को इस बार भी समय पर किताबें मिल जाए। ध्यान रहे कि इन दिनों स्कूलों में छात्रों के अलावा शिक्षकों की उपस्थिति में सुधार आया है। पढ़ाई सही समय से चल रही है, विभागीय पदाधिकारियों ने इसकी जानकारी देते हुए मीडिया को बताया है कि बिहार एक गरीब राज्य है। इसलिए विशेष व्यवस्था के तहत सरकार माध्यमिक और उच्च माध्यमिक छात्रों को किताबें देने की योजना को स्वीकृति प्रदान कर सकती है। अगर केंद्र सरकार की ओर से केके पाठक द्वारा बनवाए गए इस प्रस्ताव पर मुहर लग जाती है, तो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के 40 लाख स्टूडेंट्स इसके लाभार्थी होंगे।

किताबों को प्रखंडों में रवाना किया जाने लगा है। इसमें होने वाले खर्च में केंद्र और राज्य सरकार दोनों का हिस्सा होता है। मुफ्त किताब देने की योजना से गरीब परिवार के छात्रों को काफी लाभ होता है। ध्यान रहे कि कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए सवा नौ करोड़ किताबों की छपाई कराई जा रही है। बिहार और दूसरे राज्यों के 56 प्रकाशकों को किताब छापने की जिम्मेदारी दी गई है। कक्षा के हिसाब से किताबों का सेट प्रखंडों तक भिजवाया जा रहा है। वर्षों बाद सभी बच्चों के पास नई किताबें पहुंचेंगी। बताया जा रहा है कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत बिहार के लिए योजना की स्वीकृति को लेकर दिल्ली में केंद्रीय पदाधिकारियों के साथ 30 और 31 जनवरी को बैठक होगी। इसमें बिहार अपनी सभी शिक्षा से जुड़ी मांगों को रखेगा। इसी में माध्यमिक छात्रों को किताबें देने की मांग उठाई जाएगी। खासकर स्कूलों के विकास से जुड़ी मांगों को उठाया जाएगा। इसमें बिहार के शिक्षा विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे।

बिहार में जब से केके पाठक ने अपर मुख्य सचिव का पदभार संभाला है। उन्होंने स्कूलों की तस्वीर बदल कर रख दी है। स्कूल में साफ-सफाई और शिक्षकों को सही समय पर वेतन दिलाने का काम उन्होंने किया है। केके पाठक के आने के बाद स्कूल के विकास मद में बची राशि खर्च होने लगी है। स्कूलों का विकास होने लगा है। सबसे बड़ी बात जो परिवर्तन के दौरान देखी जा रही है, वो है स्कूलों में छात्र और शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ी है। छात्र मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूलों के लैब का सही उपयोग हो रहा है। स्कूलों में मौजूद खेल सामग्री का उपयोग होने लगा है। केके पाठक के दिशा-निर्देश के बाद स्कूलों में पढ़ाई की क्वालिटी सुधरी है। स्कूलों में शिक्षक अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। उसके अलावा केके पाठक की ओर से मिशन दक्ष शुरू किया गया है। उसका असर भी दिखने लगा है। शीतलहर के दौरान उन्होंने स्कूलों के अलावा कोचिंग संस्थानों को बंद रखने की बात कही थी। उसे लेकर थोड़ा सा विवाद हुआ। हालांकि, कई जिलों में स्कूल खुले हुए हैं। केके पाठक के किताब देने वाले फैसले से छात्रों को काफी लाभ होगा।

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