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June 3, 2025
विदेश

अदन से कराची तक लगा रहे गश्त

इस्लामाबाद : पाकिस्तान का यह बयान तब आया है, जब दो दिन पहले ही भारतीय नौसेना ने अरब सागर में एक जहाज तो समुद्री डाकूओं के चंगुल से बचाया था। इस जहाज पर कई भारतीयों समेत चालक दल के 21 सदस्य सवार थे। भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस चेन्नई और मार्कोज कमांडो ने इस ऑपरेशन में भाग लिया था पाकिस्तानी नौसेना ने अरब सागर में युद्धपोतों को तैनात किया है। ये युद्धपोत अदन से लेकर कराची तक गश्त कर रहे हैं। पाकिस्तान ने यह ऐलान तब किया है, जब दो दिन पहले ही भारतीय नौसेना ने अरब सागर में एक जहाज को समुद्री डाकूओं के हमले से मुक्त कराया था।

भारत के देखा देखी पाकिस्तान ने भी अरब सागर में अपने युद्धपोत को तैनात कर दिया है। पाकिस्तानी नौसेना के एक प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि समुद्री सुरक्षा की हालिया घटनाओं के बाद पाकिस्तानी नौसेना ने अरब सागर में अपने युद्धपोत तैनात किए हैं। प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान के व्यापार मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तानी नौसेना के जहाज लगातार अरब सागर में गश्त कर रहे हैं।

कुछ दिनों पहले ही यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में पाकिस्तान जाने वाले एक कंटेनर जहाज पर मिसाइल से हमला किया था। हालांकि, इस हमले में जहाज को कोई नुकासन नहीं हुआ। जहाज की मालिकान हक रखने वाली कंपनी एमएससी मेडिटेरेनियन शिपिंग ने कहा था कि किंग अब्दुल्ला पोर्ट, सऊदी अरब से कराची के रास्ते में उसके जहाज यूनाइटेड VIII पर हुए हमले में उसके चालक दल को कोई चोट नहीं आई है। इसके बाद से पाकिस्तान के सामने भी अरब सागर में अपने समुद्री यातायात की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी आ गई है।

आज पाकिस्तानी नौसेना ने कहा कि पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय व्यापारी जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वाणिज्यिक मार्गों की निरंतर हवाई निगरानी भी की जा रही है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी नौसेना क्षेत्र में समुद्री शांति और व्यवस्था बनाए रखने में अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी से अच्छी तरह वाकिफ है। यमन के हूती विद्रोही मध्य पूर्व में आक्रामक तरीके से समुद्री व्यापार को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने पिछले एक महीने में कई जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं। उनका कहना है कि इजरायल जब तक गाजा पट्टी पर हमले नहीं रोकता है और राहत सामग्री को भेजने की अनुमति नहीं देता है, उसके हमले तब तक जारी रहेंगे। हूतियों की बढ़ती भूमिका ने क्षेत्रीय संघर्ष के जोखिमों को बढ़ा दिया है। हूती एक ऐसे क्षेत्र में हमले कर रहे हैं, जहां से पूरी दुनिया का अधिकांश तेल निर्यात होता है।

भारतीय नौसेना ने पिछले महीने गुजरात के तट के पास एक जहाज पर हुए ड्रोन हमलों के बाद अरब सागर में अपनी उपस्थिति को बढ़ा दिया है। अमेरिका ने इस हमले का आरोप ईरान पर लगाया था। इसके बाद से लाल सागर से लेकर अरब सागर तक तनाव चरम पर है। ऐसे में समुद्री व्यापारिक मार्गों पर बढ़े तनाव को देखते हुए भारत के कई युद्धपोत और कोस्ट गार्ड के जहाज पूरे अरब सागर में भारतीय हितों की रक्षा के लिए तैनात हैं। ये युद्धपोत किसी भी समुद्री खतरे से निपटने के लिए 24 घंटे तैयार हैं। ये जहाजों की रेंडम चेकिंग भी कर रहे हैं, ताकि समुद्री व्यापार सुचारू रूप से चलता रहे।

 

 

नई दिल्‍ली  : सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें दिल्ली में महरौली के पास 13वीं सदी की आशिक अल्लाह दरगाह और बाबा फरीद की चिल्लागाह सहित सदियों पुरानी धार्मिक संरचनाओं की सुरक्षा के निर्देश देने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित 8 फरवरी के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें संरचनाओं की सुरक्षा के लिए विशिष्ट निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया गया था.

हाईकोर्ट ने अधिकारियों द्वारा दिए गए बयान को दर्ज करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया था कि केंद्रीय या राज्य प्राधिकरण द्वारा घोषित किसी भी संरक्षित स्मारक या राष्ट्रीय स्मारक को ध्वस्त नहीं किया जाएगा. महरौली इलाके में स्थित आशिक अल्‍लाह दरगाह को लेकर दिल्‍ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें इस प्राचीन ढांचे को गिराने से बचाने का आग्र‍ह किया गया. दिल्‍ली हाईकोर्ट ने इस पर सख्‍त टिप्‍पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि हमारे देश में पीर, दरगाह, मंदिर बहुत हो गए हैं. संरक्षित स्‍मारकों को छोड़कर वन क्षेत्र या वन भूमि पर किसी भी तरह के निर्माण को अनुमति नहीं दी जा सकती है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जंगल ‘दिल्ली के हरित फेफड़े’ हैं. ये प्रदूषण से एकमात्र रक्षक भी हैं. इसलिए उन्हें बहाल किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने धार्मिक संरचनाओं के नाम पर अतिक्रमण समेत अनधिकृत निर्माण पर चिंता जताते हुए यह बात कही थी. हाईकोर्ट ने कहा कि लोग यहां सांस नहीं ले पा रहे हैं और प्रदूषण के कारण मर रहे हैं और किसी को भी वन क्षेत्रों में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और उन्हें बेदखल करने की जरूरत है.

 

 

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